फांसी से 12 घंटे पहले पवन ने ब्लेड से हाथ की नस काटने की कोशिश की, सिर में 8 सेंटीमीटर तक गहरे घाव मिले

 निर्भया मामले के चारों दोषियोें को शुक्रवार सुबह करीब पांच बजकर 10 मिनट पर फांसी के तख्त पर ले जाया गया। सेल से निकलते ही चारों के हाथ बांध दिए गए थे। फंदे पर लटकाने के बाद पवन और अक्षय के शरीर कुछ देर तक कांपता रहा, लेकिन विनय और मुकेश के शरीर तुरंत स्थिर हो गए। फांसी के बाद पवन और मुकेश के मुंह से हल्का खून निकला। दो को जल्लाद ने, तो दो को हेड वार्डर ने फांसी दी। आधे घंटे तक फंदे पर लटकने के बाद 5.40 से 5.45 के बीच चारों शवों को नीचे उतारा गया। पोस्टमार्टम करने वाले डीडीयू अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ.बीएन मिश्रा ने बताया कि फांसी देने की स्थिति में न्यूरोजेनिक शॉक से मौत होती है। इसमें सर्वाइकल वटिब्रा टूट जाता है और स्पाइनल कॉड में प्रवेश कर जाता है, इसी वजह से तुरंत मौत हो जाती है। 


दोषी ने आत्महत्या की कोशिश की


फांसी लगने से 12 घंटे पहले निर्भया के दरिंदों में से एक पवन गुप्ता ने आत्महत्या की कोशिश की थी। पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट में पता चला है कि उसने ब्लेड जैसे किसी धारदार हथियार से अपने बाएं हाथ की नसों को चार से पांच जगह काटा था। इसमें से दो-तीन निशान बहुत गहरे हैं और घाव देखकर बहुत ज्यादा खून बहने का अनुमान है। डॉक्टरों के मुताबिक, उसके सिर के दोनों ओर भी धारदार हथियार से हुए घाव मिले हैं। सिर में एक तरफ दो से तीन सेंटीमीटर और दूसरी तरफ छह से आठ सेंटीमीटर गहरे घाव मिले हैं। पोस्टमार्टम के दौरान घावों को देखने के लिए सिर के बालों को काटा गया। पवन के गले और पेट पर भी जगह-जगह खरोंच के निशान मिले हैं। जेल के सूत्रों ने बताया कि पवन ने आत्महत्या की कोशिश की, तो सुरक्षाकर्मियों ने मुश्किल से उसे काबू में किया। फिर वह मां से मिलने की जिद करने लगा तो फोन पर बात कराई गई। 


मुकेश ने पेटभर खाया था, पेट से चाउमिन निकली
पोस्टमार्टम में पता चला कि मुकेश का पेट भरा हुआ था। गुरुवार रात चाउमिन और कुछ दूसरी चीजें उसने खाईं थी। बाकी तीनों कैदियों के पेट खाली थे। फांसी पर जाते समय वह शांत नजर आया। 


विनय रात भर गिड़गिड़ाता रहा, कपड़े भी नहीं बदले
विनय गुरुवार को लगातार गिड़गिड़ाता रहा। वो रात भर राेया। कह रहा था मुझे मरना नहीं है। फांसी से पहले उसने कपड़े बदलने से भी इनकार कर दिया। उसने कहा-मेरा कुछ सामान है, जो घर भिजवा देना।


अक्षय: खिचड़ी खाई और रातभर जागता रहा
अक्षय भी रातभर सो नहीं सका। वह रात भर सेल में घूमता रहा। वह जेल कर्मचारियों से बार-बार पूछ रहा था कि सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश आया क्या? 


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कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा। दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी। लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया। संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।
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