आज से सभी मॉल बंद,गैर जरूरी सरकारी सेवाओं पर रोक; अधिकारियों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी

दिल्ली में कोरोनावायरस के 16 मामले सामने आ चुके हैं। एक संक्रमित ने आत्महत्या कर ली है। दिल्ली सरकार ने पिछले एक हफ्ते में दो बार संक्रमण रोकने को एडवाइजरी जारी की है। शुक्रवार से सभी मॉल्स और गैर जरूरी सरकारी सेवाएं बंद कर दी गई। दिल्ली सरकार ने सभी अधिकारियों से वर्क फॉर होम करने और ऑफिस से ऑनलाइन और टेलीफोन के जरिए जुड़े रहने को कहा है। सभी सार्वजनिक स्थानों पर स्क्रीनिंग जरूरी कर दी गई है। ट्रैफिक पुलिस से ब्रेथ एनेलाइजर का इस्तेमाल रोकने को कहा गया है। क्वारैंटाइन सुविधा वाले होटलों को कमरों का टैक्स माफ करने को कहा गया है।


सरकार ने संक्रमण रोकने के लिए नागरिकों और रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को साथ लिया है। इन्हें होम क्वारैंटाइन में रखे गए लोगों की जानकारी दी जाएगी। सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के लिए जुर्माने के नियम को कड़ाई से लागू कराया जाएगा।


सरकारी अस्पतालों में 768 बेड वाली क्वारैंटाइन सुविधा
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में क्वारैंटाइन सुविधाओं में 768 बेड हैं। अब तक इनमें केवल 57 बेड पर ही मरीजों को रखा गया है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कोरोनावायरस संक्रमितों के लिए 550 आइसोलेशन बेड हैं जिनमें से 510 खाली हैं। केंद्र सरकार के अस्पतालों में संक्रमितों के लिए 65 बेड हैं जिनमें 67 पर मरीजों को रखा गया है। सरकार सभी सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं के बारे में जानकारी जुटा रही है। सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी अस्पताल में मशीन और वेंटिलेटर काम करने की स्थिति में हो। 


क्वारैंटाइन में रखे गए लोगों को लगेगा मुहर
पिछले दिनों कोरोनावायरस के कई संदिग्ध संक्रमितों के क्वारैंटाइन से भागने का मामला सामने आया है। इसे देखते हुए अब क्वारैंटाइन में रखे गए लोगों को मुहर लगाने का फैसला किया गया है। क्या करना है और क्या नहीं इसे लेकर लोगों को निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने कहा है कि क्वारैंटाइन से संदिग्धों का भागना चिंता का विषय है। लोग अगर निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जरूरत होगी तो एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। 


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कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा। दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी। लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया। संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।
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